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हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की कुण्डलिया


सत्ता पाने के लिये, मानव है बेचैन।

भयाक्रांत नेता सभी, रोते हैं दिन-रैन।।

रोते हैं दिन-रैन, सुखद क्षणभंगुर खातिर।

ऐंठे सत्तासीन,बहुत हो जाते शातिर।।

कहें मिसिर कविराय, तभी हिलता है पत्ता।

चाबुक ले कर हाथ, चलाती जब भी सत्ता।।





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2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:11 PM

Beautiful

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:18 PM

Nice 👍🏼

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